jagannath puri rath yatra 2024
jagannath puri rath yatra 2024-जगन्नाथ पुरी मंदिर और रथ यात्रा 2024
जगन्नाथ पुरी मंदिर, जिसे श्री जगन्नाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, ओडिशा राज्य के पुरी में स्थित एक प्रमुख हिन्दू तीर्थस्थल है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ (भगवान विष्णु का अवतार), उनके भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा को समर्पित है। जगन्नाथ पुरी मंदिर अपनी अद्वितीय स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व के साथ-साथ रथ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है।मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा किया गया था। यह मंदिर कलेरिया शैली में बनाया गया है और इसकी ऊंचाई लगभग 65 मीटर है। मंदिर के शिखर पर स्थापित नीलचक्र और ध्वज इसकी पहचान हैं। यह ध्वज प्रतिदिन बदला जाता है और हमेशा हवा के विपरीत दिशा में उड़ता है, जो कि एक रहस्यमय घटना है।
रथ यात्रा का महत्व
रथ यात्रा जगन्नाथ पुरी की सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध घटना है, जिसे देखने के लिए लाखों भक्त पुरी आते हैं। यह यात्रा हर साल आषाढ़ महीने (जून-जुलाई) में आयोजित की जाती है। इस यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को तीन विशाल रथों पर सजाकर मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है। गुंडिचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है।
रथ यात्रा 2024
रथ यात्रा 2024 की तिथि 1 जुलाई है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे। यह यात्रा 9 दिनों तक चलती है, जिसमें भक्तगण अपने आराध्य देवताओं के साथ चलकर उनकी आराधना करते हैं।
रथों का निर्माण
रथ यात्रा के लिए रथों का निर्माण एक विशेष प्रक्रिया है, जो हर साल अक्षय तृतीया के दिन शुरू होती है। रथों का निर्माण पूरी तरह से लकड़ी से किया जाता है और इन्हें विभिन्न रंगों और डिज़ाइनों से सजाया जाता है। तीनों रथों के नाम और विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
1. **नंदीघोष रथ** (भगवान जगन्नाथ का रथ): यह रथ लाल और पीले रंग का होता है और इसमें 16 पहिए होते हैं।
2. **तालध्वज रथ** (भगवान बलभद्र का रथ): यह रथ हरे और लाल रंग का होता है और इसमें 14 पहिए होते हैं।
3. **देवदलन रथ** (देवी सुभद्रा का रथ): यह रथ काले और लाल रंग का होता है और इसमें 12 पहिए होते हैं।
रथ यात्रा की पवित्रता और विश्वास
रथ यात्रा के दौरान, लाखों भक्त रथों को खींचते हैं। ऐसा माना जाता है कि रथों को खींचने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। रथ यात्रा में शामिल होने का एक अलग ही धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, जो भक्तों को भगवान के और करीब लाता है।
प्रमुख गतिविधियाँ
रथ यात्रा के दौरान कई प्रमुख गतिविधियाँ होती हैं:
1. **पहंदी बीजा**: रथ यात्रा के पहले दिन, देवताओं की मूर्तियों को मंदिर से बाहर लाया जाता है और रथों पर स्थापित किया जाता है।
2. **छेरा पहरा**: पुरी के गजपति महाराजा द्वारा रथों की सफाई की जाती है। यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो यात्रा की पवित्रता को दर्शाता है।
3. **हेरा पंचमी**: रथ यात्रा के पांचवें दिन, देवी लक्ष्मी का रथ गुंडिचा मंदिर के पास जाता है और भगवान जगन्नाथ के साथ पुनर्मिलन का प्रतीक होता है।
4. **बहुड़ा यात्रा**: यह यात्रा का अंतिम दिन होता है, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने रथों पर सवार होकर वापस मुख्य मंदिर की ओर लौटते हैं।
निष्कर्ष
जगन्नाथ पुरी मंदिर और रथ यात्रा हिन्दू धर्म के प्रमुख धार्मिक आयोजनों में से एक हैं। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। रथ यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। 2024 की रथ यात्रा भी लाखों भक्तों को पुरी की ओर आकर्षित करेगी और भगवान जगन्नाथ के दिव्य आशीर्वाद से उनके जीवन को पवित्र बनाएगी।
इस अद्वितीय धार्मिक अनुभव में शामिल होकर भक्तगण अपने जीवन को धन्य महसूस करते हैं और भगवान जगन्नाथ के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को और गहरा करते हैं।
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