VRINDAVAN TOP PLACES IN HINDI
Vrindavan top places to visit in hindi
वृन्दावन का परिचय
Vrindavan उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में एक प्राचीन और पवित्र नगर है। यहाँ का महत्व भगवान श्री कृष्ण के बल लीलाओ से है, जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में गिना जाता है। ।यहाँ पर बहुत सारे प्राचीन मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल हैं, वृंदावन के धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव लोगों को यहाँ की आत्मा का अनुभव करने का अवसर देते हैं। इसके अलावा, यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और प्रेम की भावना भी इसे एक अद्वितीय स्थान बनाती है।यहाँ विशाल संख्या में राधा कृष्णा के मदिर है।

वृंदावन का महत्व
- Vrindavan का महत्व अत्यंत उच्च है। यह हिंदू धर्म के एक प्रमुख तीर्थस्थल है और भगवान श्री कृष्ण के जन्मस्थल के रूप में प्रसिद्ध है। वृंदावन में श्री कृष्ण के जीवन के कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुए थे जिनका स्मरण और समर्पण भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- इसके अलावा, Vrindavan धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का केंद्र है। यहाँ पर भक्तिभाव से भरी श्रद्धा का वातावरण होता है जो लोगों को आत्मिक शांति और आनंद का अनुभव करने की अनुमति देता है। धार्मिक उत्सव और परंपराओं के माध्यम से, वृंदावन लोगों को अपनी आध्यात्मिकता के साथ जोड़ता है और उन्हें अपने आध्यात्मिक उद्देश्य की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
- Vrindavan का महत्व उसके वातावरण में भी है, जो प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है। यहाँ की गलियों, नदियों, और वृक्षों का दर्शन करने से मन और आत्मा प्रशांति प्राप्त करती है।सम्पूर्ण रूप से, वृंदावन धर्म, सांस्कृतिक, और प्राकृतिक महत्व का एक समृद्ध भण्डार है जो लोगों को उनके आत्मिक साधना में मदद करता है और उन्हें एक अद्वितीय धार्मिक अनुभव प्रदान करता है।तो आइये हम आपको वृन्दावन के महत्वपूर्ण जगहों के दर्शन करते है।
वृन्दावन कैसे पहुंचे -How to reach Vrindavan
- सबसे पहले बात करते हैं ट्रेन की, आप देश के किसी भी प्रमुख शहर से आना चाहते हैं। तो आपको मथुरा तक के लिए डायरेक्ट ट्रेन मिल जाएगी। मथुरा रेलवे स्टेशन के बाहर से आप टैक्सी ,ऑटो ,ई रिक्शा के माध्यम से वृंदावन तक पहुंच सकते हैं ऑटो और ई रिक्शा वाले आपसे ₹30 का चार्ज करते हैं। और इस 9 किलोमीटर की दूरी को पूरा करके आप आराम से वृंदावन तक पहुंच जाएंगे।
- वहीं आसपास के राज्य और शहरों से बस की कनेक्टिविटी भी बहुत अच्छी है। अगर आपके शहर से यहां तक के लिए डायरेक्ट बस है तो आप बस के माध्यम से भी आ सकते हैं।
- बात करें फ्लाइट की अगर आप फ्लाइट से आना चाहते हैं तो यहां का नजदीकी एयरपोर्ट आगरा में है जो यहां से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आगरा तक आने के बाद में अब बस टैक्सी या ट्रेन के माध्यम से मथुरा तक आ सकते हैं। फिर उसके बाद में आप आराम से वृंदावन तक आ जाइए।दोस्तों अगर आप रात में मथुरा आते हैं तो रात में आप वहीं पर आराम करिए और सुबह 6 से 7 बजे ही वृंदावन लिए निकले क्योंकि रात में यहां पर सभी होटल आपको फुल मिलेंगे रात में आपके यहां पर गलियों में ही भटकना पड़ेगा।
वृन्दावन में कहाँ ठहरे-Where to stay in Vrindavan
- अब हम लोग जानते हैं कि आपको होटल या धर्मशाला कहां पर लेना चाहिए दोस्तों वृंदावन दो पार्ट में बसा हुआ है। एक पुराना वृंदावन जो बांके बिहारी साइड है और दूसरा नया वृंदावन जो प्रेम मंदिर साइड में है। दोनों ही साइड में आपको बहुत से होटल और धर्मशाला मिल जाएंगे लेकिन प्रेम मंदिर साइड में होटल और धर्मशाला के ऑप्शन ज्यादा मिलते हैं।
- तो सबसे पहले बात करते हैं अगर आप बाकी बिहारी मंदिर साइड में रुकना चाहते हैं तो,बाकी बिहारी मंदिर में मार्ग पर ही बहुत से होटल और धर्मशाला बने हुए हैं। यहां पर तुलसी आश्रम, सिंधी धर्मशाला ,जयपुरिया धर्मशाला ,मोर भवन, श्री जीवन बल्लभ निवास और वृंदावन बस स्टैंड के पास में भारत संघ आश्रम और भी बहुत से धर्मशाला और आश्रम यहां पर बने हुए हैं इनके रेट्स की बात करें यहां पर ₹500 से उनकी स्टार्टिंग हो जाती है। होटल की बात करें तो बांके बिहारी चौराहे के पास में ही होटल श्री ठाकुर धाम गिरिराज कृपा होटल ,होटल शुभम और में बांके बिहारी मार्ग पर बज वैभव गेस्ट हाउस ,जमुना भवन, ग्वाला भवन ,और इसी मार्ग पर और भी बहुत सारे होटल हैं यहां पर होटल के रेट 1200 से स्टार्ट हो जाते हैं वहीं प्रेम मंदिर साइड की बात करें तो यहां पर कृपा बिलासपुर ,राधा सेवा संघ ,सत्यम धाम ,श्री राधा कृष्ण धाम होटल ,ब्रिज आनंद वृंदा सेवा सदन, होटल गीत गोविंद और भी बहुत से होटल और धर्मशाला है आप आराम से यहां पर रख सकते हैं। प्रेम मंदिर साइट के होटल 1500 से स्टार्टिंग हो जाते हैं। फिर जैसा आपका बजट हो बहुत ही वीआईपी और अच्छे होटल मेंभी आप रूम ले सकते हैं।
वृन्दावन दर्शन का सही तरीका-Right way to visit Vrindavan
दोस्तों वृंदावन में सभी मंदिर के खुलने और बंद होने का एक निश्चित समय है। मंदिर सुबह 8:00 बजे खुलते हैं और 12 से 12:30 बजे के बीच में बंद हो जाते हैं। फिर शाम को 4:00 बजे खुलते हैं और 8:00 के साइड में बंद हो जाते हैं। तो आपको यहां पर टाइमिंग का ध्यान जरूर रखना चाहिए। दोस्तों ,अगर आप सुबह 7 से 8 बजे तक वृंदावन पहुंच जाते हैं तो आप सबसे पहले पुराने वृंदावन श्री बांके बिहारी मंदिर साइड में जितने भी प्रमुख मंदिर पड़ते हैं इनमें दर्शन करें दोपहर में अपने होटल में आराम करें और फिर शाम को आप प्रेम मंदिर साइड में जितने भी मंदिर पढ़ते हैं इन सभी में दर्शन करिए। क्योंकि शाम को प्रेम मंदिर साइड में जितने भी मंदिर हैं लाइट्स में इनकी खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। तो चलिए सबसे पहले हम लोग चलेंगे श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन करने।
बांके बिहारी मंदिर -BANKE BIHARI TEMPLE IN HINDI
- दोस्तों यहां पर दर्शन के लिए बहुत ही ज्यादाभीड़भाड़ होती है। यहां पर एंट्री करने के लिए अलग-अलग तीन से चार रास्ते हैं। आप मंदिर में मार्केट वाले गेट से एंट्री कर सकते हैं दोस्तों अगर आप होली दिवाली जन्माष्टमी वीकेंड या छुट्टी वाले दिन पर आते हैं तो यहां पर आपको बहुत ही ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है दर्शन करने में आपको 1 से 2 घंटे का समय भी लग जाता है। मंदिर में प्रवेश करेंगे मंदिर में प्रवेश करते ही सामने ही श्री बांके बिहारी जी के अद्भुत और अलौकिक दर्शन मिल जाते हैं।
- यहाँ की मान्यता है गुरु हरीदस जी ने निधिवन में तपस्या की और श्री बांके बिहारी की मूर्ति प्रकट की। तब भरतपुर के राजा ने अपनी बगीचे की भूमि को यहाँ मंदिर बनाने के लिए दान कर दी। फिर यहाँ बांके बिहारी जी का मंदिर बनाया गया। यहाँ मंदिर में श्रीकृष्ण के बल रूप की पूजा होती है। यहाँ मंदिर सर्दिओ में 9 बजे और गर्मियों में 8 बजे खुलता है। ये यहाँ का प्रमुख मंदिर है इसीलिए आप यहाँ आये तो मंदिर में भगवन के बालस्वरुप के दर्शन करना न भूले।दोस्तों ,आपको यहां पर दर्शन करके बहुत ही ज्यादा शांति और सुकून मिलेगा आपका मन बहुत ही ज्यादा हल्का हो जाएगा
प्रेम मंदिर,वृन्दावन -prem mandir vrindavan in hindi

- यह Vrindavan के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 14 जनवरी सन 2001 को जगतगुरु कृपालु जी महाराज द्वारा किया गया था। मंदिर को बनाने में राजस्थान और उत्तर प्रदेश के लगभग 1000 शिल्पकारों ने काम किया था, तब जाकर लगभग 11 वर्षों में यह मंदिर बनकर तैयार हुआ। 17 फरवरी सन 2012 को यह मंदिर जनता के लिए खोला गया। यह मंदिर लगभग 150 करोड रुपयों की लागत से बना है। इस मंदिर को इटालियन मार्बल पत्थर से बनाया गया है।
- यह मंदिर 54 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है। यह मंदिर श्री राधा कृष्ण जी को समर्पित है। मंदिर परिसर में कृष्णा लीला की चारों ओर बेहद खूबसूरत झांकियां बनी हुई है, जिनमें श्री कृष्ण जी के विभिन्न लीलाओं को आप देख सकते हैं। इस मंदिर के द्वार सुबह 5:30 बजे खुलते है और सुबह 6:30 बजे भोग लगाकर पट बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद फिर से सुबह 8:30 बजे पट खुले जाते हैं और इसके बाद 11:30 बजे भोग लगाया जाता है। दोपहर 12:00 बजे मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं इसके बाद शाम 4:30 बजे मंदिर फिर से खुलता है और मंदिर की आरती होती है शाम 5:30 बजे भोग लगाया जाता है और उसके बाद 8:10 पर चयन आरती होती है और शाम 8:30 बजे मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। मंदिर में लेजर लाइट लगी है जो रात में हर 30 सेकंड में मंदिर का कलर चेंज कर देती है इस मंदिर में रात का नजारा बेहद ही खूबसूरत होता है।
इस्कॉन मंदिर,वृन्दावन - ISKON TAMPLE,VRINDAVAN IN HINDI

Vrindavan में आईएसकॉन मंदिर हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और यह इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्ण कंशनेस (आईएसकॉन) का हिस्सा है। वृंदावन धाम हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है, यहां भगवान कृष्ण ने अपना बचपन बिताया और अपनी दिव्य लीलाएं की। वृंदावन के आईएसकॉन मंदिर में दुनिया भर से भक्त आते हैं जो अपनी श्रद्धा अर्पित करने और आध्यात्मिक वातावरण में अपने आपको लीन करने के लिए। मंदिर के परिसर में विभिन्न कार्यक्रम, शिक्षानुवाद, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो भगवान कृष्ण के उपदेशों और परंपराओं का जश्न मनाते हैं। इसके साथ ही, यह मंदिर अपनी शानदार वास्तुकला और सुंदर बगीचों के लिए प्रसिद्ध है, जो आगंतुकों को एक शांतिपूर्ण और उत्तेजक अनुभव प्रदान करते हैं।माना जाता है की इसी स्थान पर भगवन श्री कृष्णा गोपियों के साथ लीला करते थे।
यहाँ तुसली के वन को हम निधि वन के नाम से जानते है। कहा जाता है की ६००० वर्ष पूर्व यह वन 10 km तक फैला हुआ था
यह वन भगवान श्री कृष्णा और राधा रानी को समर्पित है। मन जाता है यहाँ श्री कृष्णा ने गोपियों के साथ 16801 रूप लेकर यहाँ रास रचाया और गोपियों की इच्छा पूरी की थी।
कलयुग में जब निधि वन समाप्त होने लगा तब श्री चैतन्य महाप्रभु ने यहाँ आकर तपस्या की और तुलसी वन को प्रकाशमय किया। जिससे यह प्राचीन वन आज तक बचा हुआ है।

यहाँ तानसेन के गुरु हरिदास ने यहाँ तपस्या की थी, उनकी तपस्या से दो मुर्तिया प्रकट हुई पहली थी कुञ्ज बिहारी और जोकि बलराम जी कि थी और दूसरी थी बांके बिहारी जो श्री कृष्णा की थी।
यहाँ का सबसे प्रचलित कथन है की निधिवन में जो तुलसी के पेड़ है वो वही गोपिया है जो कृष्णा लीलाओ में रहती थी। माना जाता है की श्रीकृष्ण आज भी यहाँ रात मे आकर गोपियों के साथ रास रचाते है।
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